Description
कोई भी व्यक्ति जो अपने घर या कार्यालय की पूजा स्थल में स्पैटिक शिवलिंग स्थापित करता है, उसे जीवन में कभी भी अभाव नहीं होता है। स्फटिक शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। गंगा जल या पंचामृत से नित्य पूजन करके अपने घर में शिवलिंग की पूजा करके इस चंदन, पुष्प, मखमल आदि की पूजा करने से भगवान शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है। आयु, स्वास्थ्य, धन, संपत्ति, यश, मान, प्रतिष्ठा उनकी करुणा से प्राप्त होती है। स्फटिक शिलिंग को काँचमणि कहा जाता है, बिलोर, बर्च का पठार यह एक पारदर्शी रत्न है। स्फटिक शिवलिंग बर्फीले पहाड़ों के नीचे बर्फ के टुकड़े के रूप में पाया जाता है। इसे एक ठंडा रत्न माना जाता है।  स्फटिक शिवलिंग भी सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है, यह शिवलिंग घर से हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है। जिस घर में यह शिवलिंग स्थापित होता है, वहां सभी प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं। सावन के पूरे महीने इसे नियमित रूप से लगाने से कई तरह के वास्तुदोष (वास्तुदोष) घर से दूर हो जाते हैं। जिस घर में यह शिवलिंग स्थापित किया जाता है और पंचामृत से एक महीने तक अभिषेक किया जाता है, वहां धन और स्वास्थ्य की कमी नहीं रहती है। इसके प्रभाव से शिक्षा में सुधार होगा, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलेगी। इसे स्थापित करने वाले को अपने जीवन में नाम, पैसा, प्रसिद्धि सब कुछ मिलता है। यह ध्यान में रखने योग्य है अर्थात्, सफेद पत्थर के शिवलिंग पर सिंदूर, स्फटिक की शिलिंग पर घी, काले पत्थर यानि ग्रेनाइट शिवलिंग पर हल्दी अष्ट धातु के शिव लिंग को रक्त नहीं चढ़ाना चाहिए।
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