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क्या आप जानते है शालिग्राम क्या है नहीं जानते तो आज हम आपको शालिग्राम के विषय में बताएंगे। शालिग्राम की कथा के साथ उनसे जुड़ी मुख्य बातों की भी जानकारी देंगे…. पुराणों में शालग्राम के विषय में एक कथा वर्णित है। इस कथा कथानुसार एक वृंदा नामक सती स्त्री थी। जिसने अपने पति जलंधर और अन्य कथा के अनुसार शंखचूड़ को विष्णु जी द्वारा छल पूर्वक मार दिए जाने पर यह श्राप दिया था। वृंदा ने कहा था कि कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है, अत: तुम पत्थर के बनोगे। इस तरह विष्णु भगवान पत्थर के बन गए और पत्थर ही शालिग्राम कहलाया था। इसे शालिग्राम, सालिग्राम भी कहते हैं। तब भगवान विष्णु ने कहा, ‘हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का फल है कि तुम तुलसी का पौधा और गंडकी नदी बनकर मेरे साथ रहोगी। मैं यहीं गंडकी नदी के किनारे तुम्हारे साथ रहूंगा। जो मनुष्य एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, और द्वादशी के दिन शालिग्राम से विवाह करेगा वह परम धाम को प्राप्त होगा।’ इस प्रकार तुलसी शालिग्राम विवाह करवाने से मोक्ष प्राप्ति होती है। भगवान शालिग्राम श्री नारायण का साक्षात स्वरुप माने जाते हैं। शास्त्रानुसार त्रिदेव में से दो भगवान शिव और विष्णु दोनों ने जगत कल्याण के लिए पार्थिव रूप धारण किया था। इसलिए इनके पार्थिव रूप की पूजा होती है जिसमें प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए हम आपको बताते हैं कि शालिग्राम किसे कहते हैं और ये क्या है? जी हां तो शालिग्राम नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर को कहते हैं। इस पत्थर में ही विष्णु भगवान का वास है। यह स्वयंभू होने के कारण इनकी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती। भक्त जन इन्हें घर अथवा मन्दिर में पूजते हैं। शालिग्राम स्वंयम्भू होते है इसलिये इसके स्थापना की जरूरत नही होती है शालिग्राम भिन्न भिन्न रूपों में प्राप्त होते हैं कुछ मात्र अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छिद्र पाया जाता है। पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुद होते हैं। कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की गोल धारियां चक्र के समान होती हैं। दुर्लभ रूप से कभी कभी पीताभ युक्त शालिग्राम भी मिल जाते हैं। जानकारों ने शालिग्राम के विभिन्न रूपों का अध्ययन कर इनकी संख्या 80 से लेकर 124 बताई है। ये कई रूपों और गुणों के साथ पाए जाते हैं। शालिग्राम पूजन के फायदे- शालिग्राम को एक मूल्यवान पत्थर माना गया है इसलिए इसे बहुत सहेज कर रखा जाता है। मान्यता है कि शालिग्राम के भीतर अल्प मात्रा में स्वर्ण भी होता है। इसलिए चोरी होने से बचाना चाहिए। भगवान् शालिग्राम का पूजन तुलसी के साथ करें इससे रोग विकार दूर होते हैं। शालिग्राम तुलसी अर्पित करने तुरंत प्रसन्न होते हैं घर में पवित्रता आती है। शालिग्राम और तुलसी का विवाह करने से आपके कलह, पाप ,दुःख और रोग दूर होते हैं। तुलसी शालिग्राम विवाह से कन्यादान का पुण्य प्राप्त होता। पूजन में शालिग्राम स्नान कराकर चन्दन लगाकर तुलसी दल अर्पित करना और चरणामृत ग्रहण करना चाहिए। पुराणों में शालिग्राम के घर में होने पर उस घर को तीर्थों से भी श्रेष्ठ बताया गया है। भगवान शिव ने भी स्कंदपुराण के कार्तिक माहात्मय में भगवान शालिग्राम की स्तुति की है। पुराणों के अनुसार शालिग्राम शिला का जल अपने ऊपर छिड़क लेना चाहिए। मृत्युकाल में शालिग्राम चरणामृत का जलपान करने वाला विष्णुलोक को प्राप्त होता है। घर में शालिग्राम का पूजन करने से वास्तु दोष दूर होते हैं। पुराणों के अनुसार तुलसीदल युक्त शालिग्राम का चरणामृत पीने से विष का असर तुरंत समाप्त
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